
महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस ब्लॉग “महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में)” में Maha Shivratri कब, क्यों और कैसे मनाए, यह बताएंगे।
हर साल महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च महीने में आती है। महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना और उनके दिव्य स्वरूप को समर्पित पर्व है। एक साल मे बारह शिवरात्रि आती हैं। फाल्गुन माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं।
इसके अलावा, धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि को ही भगवान शिव ने कालकूट विष का पान किया था, जिसे समुद्र मंथन के दौरान निकाला गया था। उन्होंने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए।
इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, व्रत और रात्रि जागरण करते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल, धतूरा और भांग चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि आत्मशुद्धि, भक्ति और मोक्ष प्राप्ति का पर्व है, जिसे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में): 2025 महाशिवरात्रि कब हैं?
इस बार Maha Shivratri का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनिट पर शुरू होगा जो अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनिट तक रहेगा। महाशिवरात्रि पर पूरे दिन ही आप मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2025-
निषिता काल पूजा का समय |
27 फरवरी रात्रि 12:09 AM से 12:59 AM |
महाशिवरात्रि पारण का समय |
27 फरवरी सुबह 6:48 AM से सुबह 8:54 AM |
महाशिवरात्रि प्रथम पहर पूजा का समय |
26 फरवरी शाम 6:19 PM से रात्रि 9:26 PM |
महाशिवरात्रि द्वितीय पहर पूजा का समय |
27 फरवरी रात्रि 9:29 PM से सुबह 12:34 AM |
महाशिवरात्रि तृतीय पहर पूजा का समय |
27 फरवरी सुबह 12:34 AM से सुबह 03:41 AM |
महाशिवरात्रि चतुर्थी पहर की पूजा का समय |
27 फरवरी सुबह 03:41 AM से सुबह 06:48 AM |
ब्रह्म मुहूर्त मे जलाभिषेक करना चाहिए और इस दिन रात्रि के चारों प्रहर पूजा को जाती हैं लेकिन निषिता काल में पूजा करना शुभ होता हैं। इस दिन श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में): महाशिवरात्रि जलाभिषेक का मुहूर्त
इस दिन सुबह 06:47 am बजे से सुबह 09:42 am बजे तक जल चढ़ाया जा सकता है। दोपहर में भी सुबह 11:06 am बजे से लेकर दोपहर 12:35 pm बजे तक जल चढ़ाया जा सकता है। दोपहर 03:25 pm बजे से शाम 06:08 pm बजे तक भी जलाभिषेक किया जा सकता है, और आखिरी में रात्रि में 08:54 pm मिनट पर शुरू होगा और रात 12:01 am बजे तक रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन महादेव का जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में): पूजा की विधि
इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, व्रत और रात्रि जागरण करते हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल, धतूरा और भांग चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान: महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ कपड़े पहने।
व्रत और उपवास: श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं, जिसमें फलाहार और जल ग्रहण किया जाता है। कुछ लोग निर्जल (बिना पानी के) व्रत भी करते हैं। व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव का ध्यान करे।
शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें, क्योंकि ये भगवान शिव को प्रिय हैं। पंचामृत से अभिषेक के बाद बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, भांग, जनेऊ, धूप, दीप और चंदन अर्पित करें।
आरती और भोग अर्पित करे: उन्हे फल जैसे केले, सेव, बेर, खीरा, गाजर और मिष्ठान आदि चढ़ाए। पूजा के अंत मे आरती करे।
रात्रि जागरण: महाशिवरात्रि की रात जागरण कर भगवान शिव के भजन-कीर्तन करें। चार प्रहर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
मंत्र जप और ध्यान: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है।
शिवजी का पाठ करे: महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण, शिव चालीसा , शिव तांडव स्त्रोत, शिवरात्रि की कथा का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती हैं। सुख समृद्धि मिलती हैं।
दान और पुण्य कार्य: गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और आवश्यक चीजों का दान करें। गौ सेवा और ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि एक आध्यात्मिक और पवित्र पर्व है, जो व्यक्ति को आत्मशुद्धि, भक्ति और मोक्ष की ओर ले जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना कर अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर सकते हैं। वैवाहिक जीवन में भी आनंद की प्राप्ति होती हैं।
महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में): किन बातों का ध्यान रखे
- शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढानी चाहिए।
- खंडित बेलपत्र शिवलिंग पर नहीं चढाने चाहिए।
- भगवान शिव को नारियल का जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
- कुमकुम या सिदुर शिवलिंग पर नहीं चढाना चाहिए।
- शिवलिंग की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।
- भगवान शिव पर केतकी के पुष्प नहीं चढाना चाहिए।

महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में): महाशिवरात्रि की कथा
महाशिवरात्रि की कथा
पहली कथा:
महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध यह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। देवी पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए यह दिन शिव-पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक माना जाता है।
दूसरी कथा:
एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत के साथ जब कालकूट विष निकला, तो पूरे संसार को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। इस कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। शिवजी ने इस विष को गले से नीचे नहीं उतारा, जिससे संसार की रक्षा हो सकी। इस दिन को शिव की महिमा का उत्सव माना जाता है।
तीसरी कथा:
पुराणों में महाशिवरात्रि से जुड़ी कई कथाएँ मिलती हैं, जिनमें से चित्रभानु शिकारी की कथा अत्यंत प्रसिद्ध है। यह कथा भगवान शिव की भक्ति और उनकी कृपा का महत्व दर्शाती है। प्राचीनकाल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था, जो जंगल में जानवरों का शिकार कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था।
एक दिन महाशिवरात्रि के दिन भोजन की तलाश में वह जंगल में भटक गया और देर शाम हो गई। उसे कोई शिकार नहीं मिला, और भूख-प्यास से व्याकुल होकर वह एक तालाब के पास एक बेल वृक्ष पर चढ़ गया।
उस बेल वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था, लेकिन शिकारी को इस बात की जानकारी नहीं थी। जैसे-जैसे रात बीतती गई, वह शाखाओं को तोड़ता गया और अनजाने में बेलपत्र शिवलिंग पर गिराता गया। साथ ही, वह पानी के कुछ कण भी गिराता रहा। इस प्रकार उसने रातभर उपवास रखा, जल चढ़ाया और बेलपत्र अर्पित किए।
सुबह होते ही शिवजी प्रकट हुए और शिकारी को दर्शन देकर वरदान दिया कि वह अपने पूर्व जन्म के पापों से मुक्त हो गया है और अगले जन्म में उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस प्रकार, अनजाने में ही सही, लेकिन शिकारी ने महाशिवरात्रि का व्रत कर लिया और उसे भगवान शिव का आशीर्वाद मिला।
यह कथा हमें सिखाती है कि भक्ति भाव से किया गया कोई भी कार्य व्यर्थ नहीं जाता। यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, तो उसे उनके आशीर्वाद की प्राप्ति अवश्य होती है।
आशा करती हूँ कि इस ब्लॉग “महाशिवरात्रि 2025: (जानिए महाशिवरात्रि के बारे में)” में हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आएगी।

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