
नए वर्ष की शुरुआत मकर संक्रांति से होती है। मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। आशा करते हैं यह ब्लॉग, “Makar Sankranti 2025: कब है मकर संक्रांति? जानिए शुभ मुहूर्त” आपके लिए ज्ञानवर्धक रहेगा।
मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कि सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है। इस दिन को नए फसल चक्र की शुरुआत और धन-धान्य के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन खरमास खत्म हो जाता हैं। इस बार मकरसंक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
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Makar Sankranti 2025: कब है मकर संक्रांति?: मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-
इस बार मकर संक्रांति 14 को ही मनाई जाएगी। हर बार हम यही सोचते है की कब मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन पंचांग के अनुसार सूर्य देव 14 जनवरी को मकर राशि को गोचर करेंगे इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह सुबह 8 बजकर 55 मिनिट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को 9 बजकर 3 मिनिट से शाम 5 बजकर 46 मिनिट तक रहेगा। इसके अलावा मकर संक्रांति का पूरा दिन ही स्नान और दान के लिए शुभ हैं।महापुण्यकाल का समय 9 बजकर 3 मिनिट से सुबह 10 बजकर 48 मिनिट तक रहेगा।
Makar Sankranti 2025: कब है मकर संक्रांति? -मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए।आदित्य स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। स्नान करते समय गंगा जल पानी मे डाल कर नहाना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए क्योंकि यह सुख समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन तिल, गुड़, वस्त्र, अन्न और धन का दान देने का बहुत महत्व हैं। इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू व खिचड़ी खाने और बांटने की परंपरा है। खासकर उत्तर भारत में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है।
मकर संक्रांति का महत्व शास्त्रों में इसलिए भी बताया गया है क्योंकि इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, अर्थात उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं, जिससे दिनों की अवधि बढ़ने लगती है और प्रकाश का विस्तार होता है। इसे आध्यात्मिक रूप से ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक माना गया है।
यह पर्व पूरे भारत में अलग-अलग नामों और रूपों में मनाया जाता हैं। तमिलनाडु में “पोंगल,” पंजाब में “लोहड़ी,” असम में “भोगाली बिहू,” और गुजरात में “उत्तरायण” के नाम से जाना जाता हैं।
Makar Sankranti 2025: कब है मकर संक्रांति? -पूराणों के अनुसार
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जो शनिदेव की राशि मानी जाती है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर (मकर राशि) में प्रवेश करते हैं, जिससे उनके बीच की कटुता समाप्त मानी जाती है। इस पर्व को पिता-पुत्र के पुनर्मिलन के रूप में भी देखा जाता है। मकर संक्रांति भगवान विष्णु के असुरों पर विजय के प्रतीक के रूप मे मनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति पर भीष्म पिता ने, जब वह बाणों की शैया पर लेते थे अपने प्राण त्यागे थे, क्योंकि इस दिन प्रन त्यागने से वाह जन्म मरण से मुक्त हो जाता हैं औरत मोक्ष को प्राप्त करता हैं।
इसी दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे –पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी। आशा करते हैं यह ब्लॉग, “Makar Sankranti 2025: कब है मकर संक्रांति? जानिए शुभ मुहूर्त” आपके लिए ज्ञानवर्धक रहेगा।
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