
बसंत/वसंत पंचमी भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसे बसंत ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस ब्लॉग “बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchmi 2025)” में हम जानेगें कि बसंत/वसंत पंचमी कब ,क्यों और कैसे मनाई जाती हैं।
इस दिन विद्यालयों, घरों और मंदिरों में विशेष रूप से माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन खिचड़ी, मीठे चावल, बेसन के लड्डू, और केसर-युक्त पकवान बनाए जाते हैं। छोटे बच्चों को इस दिन पहली बार लिखना सिखाया जाता है, जिसे विद्या आरंभ संस्कार कहते हैं।
पीला रंग समृद्धि, ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक है, इसलिए लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं। खासकर उत्तर भारत में बसंत/वसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है, जिससे आसमान रंग-बिरंगा दिखाई देता हैं। बसंत/वसंत पंचमी होली की शुरुआत का भी प्रतीक हैं ।
इसे विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत/वसंत पंचमी सिर्फ एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवन के उल्लास का प्रतीक भी है। यह दिन सकारात्मकता, ज्ञान और नई ऊर्जा का संदेश देता है।
बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchmi 2025): जाने कब है शुभ मुहूर्त -
यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। सरस्वती माता की पूजा करने से विद्या, बुद्धि, सौभाग्य और धन-धान्य की प्राप्ति होती हैं। बसंत/वसंत पंचमी 2025 की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनिट पर और इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनिट पर होगा। उदयातिथि पड़ने के कारण बसंत/वसंत पंचमी हम 2 फरवरी को मनायेगें। बसंत/वसंत पंचमी पर सरस्वती माँ के पूजन का मुहूर्त 2 फरवरी सुबह 7 बजकर 09 मिनिट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनिट तक रहेगा। पूजा के लिए 5 घंटे 26 मिनिट तक का ही समय मिलेगा।
बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchmi 2025): बसंत पंचमी का महत्व -
ऋतु परिवर्तन – बसंत/वसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जो न तो बहुत ठंडी होती है और न ही बहुत गर्म। इस ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।
माँ सरस्वती की आराधना – बसंत /वसंत पंचमी का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। विद्यार्थी विशेष रूप से इस दिन माँ सरस्वती की आराधना कर बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
बसंत ऋतु का स्वागत – यह दिन शीत ऋतु के अंत और बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। इस समय प्रकृति अपने सुंदर रूप में खिल उठती है, खेतों में सरसों के पीले फूल लहराते हैं और वातावरण में नई ऊर्जा का संचार होता है।
विद्या आरंभ संस्कार – इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार लिखने-पढ़ने की शुरुआत करवाई जाती है, जिसे ‘विद्यारंभ’ या ‘अक्षरारंभ’ संस्कार कहते हैं।
सांस्कृतिक महत्व – इस दिन पतंगबाजी, नृत्य-संगीत और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, खासकर उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में यह त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
धार्मिक महत्व – कुछ स्थानों पर यह दिन भगवान विष्णु, शिव और कामदेव की पूजा के लिए भी शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन कामदेव और रति ने भगवान शिव को तपस्या से जगाने का प्रयास किया था।
बसंत/वसंत पंचमी का यह शुभ पर्व न केवल शिक्षा और कला का प्रतीक है, बल्कि नई ऊर्जा, उमंग और खुशहाली का संदेश भी देता है।

बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchmi 2025): बसंत पंचमी की कथा -
बसंत/वसंत पंचमी से जुड़ी कई कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा देवी सरस्वती से संबंधित है। प्राचीन समय की बात है, जब सृष्टि की रचना हो चुकी थी, लेकिन धरती पर सब कुछ नीरस और शांत था।
भगवान ब्रह्मा ने जब मनुष्यों को देखा तो वे बिना वाणी के थे, जिससे संसार में कोई संवाद नहीं हो पा रहा था। यह देखकर उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का और उस जल से एक दिव्य शक्ति उत्पन्न हुई। यह शक्ति एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुई, जिनके चार हाथ थे। जिनके एक हाथ में वीणा थी और दूसरे हाथ में पुस्तक एवं माला थी। इस कारण इन्हे कई नाम से पुकारा जाता हैं जैसे – बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी, वाग्देवी इत्यादि नाम से जाना जाता हैं। सरस्वती जी ब्रह्मा जी की पुत्री हैं। जिनका वाहन हंस हैं।
भगवान ब्रह्मा ने उनसे संसार में ज्ञान और संगीत का संचार करने का आग्रह किया। तब उस देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, जिससे समस्त संसार में वाणी और संगीत की शक्ति जागृत हो गई। इस कारण देवी को सरस्वती कहा गया और उन्हें विद्या, संगीत और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाने लगा। भगवान श्री कृष्ण ने सरस्वती जी से खुश होकर उन्हें यह वरदान दिया था कि बसंत/वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी पूजा की जाएगी। इसी दिन को बसंत/वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
आशा करती हूँ कि इस ब्लॉग “बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchmi 2025)” में बताई गई जानकारी आपके काम आएगी।
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